नगरसेवक बने फिरते, नहीं है भाव सेवा का
करे नाटक जमानेका, करम ये भूल जाता हूँ I
+
उठाकर एक झंडा ये, सियासत के बने आला
कराने में भला खुद का, फकीरी भूल जाता हूँ I
+
सियासत ये करे देखो, दिखा कर धर्म का लालच
सभी को साथ लेकर मैं, मिलाना भूल जाता हूँ I
+
बुराई का यहाँ आलम, किसीसे है नहीं यारी
ख़जाने पर टिकी नज़रें, हटाना भूल जाता हूँ I
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भरा है पेट मेरा भी, ड़कारे रोज देता हूँ
निवाला और के खातिर, बचाना भूल जाता हूँ I
- प्रकाश पटवर्धन, पुणे.
छंद- विधाता .
मापनी- 1222 1222 1222 1222.
करे नाटक जमानेका, करम ये भूल जाता हूँ I
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उठाकर एक झंडा ये, सियासत के बने आला
कराने में भला खुद का, फकीरी भूल जाता हूँ I
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सियासत ये करे देखो, दिखा कर धर्म का लालच
सभी को साथ लेकर मैं, मिलाना भूल जाता हूँ I
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बुराई का यहाँ आलम, किसीसे है नहीं यारी
ख़जाने पर टिकी नज़रें, हटाना भूल जाता हूँ I
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भरा है पेट मेरा भी, ड़कारे रोज देता हूँ
निवाला और के खातिर, बचाना भूल जाता हूँ I
- प्रकाश पटवर्धन, पुणे.
छंद- विधाता .
मापनी- 1222 1222 1222 1222.